भोपाल: मध्य प्रदेश के प्रमुख देवी मंदिरों उज्जैन, देवास और नलखेड़ा में नवरात्रि का उल्लास छाया हुआ है, जहां मां हरसिद्धि, चामुंडा, तुलजा भवानी और बगलामुखी के दर्शन के लिए भक्त उमड़ रहे हैं। मंदिरों में विजय और मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु आ रहे हैं। मालवा क्षेत्र के इन मंदिरों में 9 दिनों तक लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, खासकर सप्तमी और अष्टमी को अधिक भीड़ रहेगी।

सुबह से ही शुरु हो गई थी पूजा
शारदीय नवरात्र के 9 दिनों में माता मंदिरों में विशेष शृंगार ओर आरती की जाएगी। शक्ति की भक्ति का महापर्व शारदीय नवरात्र आज से आरंभ हो गए हैं। शास्त्रोक्त विधि से माता के मंदिरों के साथ कई घरों में घटस्थापना और पूजन सुबह से ही शुरू हो गया है। नंगे पैर चलकर भक्त माता के दरबार में पहुंच रहे हैं। भक्तवत्सला, कृपामयी देवी की वंदना में भक्त जुटे हैं। नौ दिनों तक शक्ति की भक्ति होगी और जन-मन उल्लासित रहेगा।
दर्शन की विशेष व्यवस्था
प्रमुख शक्तिपीठों के साथ ही प्रसिद्ध माता मंदिरों में विशेष व्यवस्था की गई है। प्रात: व संध्या आरती के साथ ही प्रतिदिन माता के शृंगार होगा। नए आभूषण अर्पित किए जाएंगे। देवास में तुलजा भवानी और चामुंडा माता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। माता टेकरी पर तुलजा भवानी और चामुंडा माता विराजमान हैं। दोनों को बहनें भी कहा जाता है। चामुंडा माता पवार राजपरिवार की कुलदेवी हैं जबकि तुलजा भवानी होलकर राजशंव की कुलदेवी कही जातीं हैं। मान्यता के अनुसार सती के रक्त की बूंदें यहां गिरी थीं, जिस कारण इसे रक्तपीठ कहा जाता है।
9 दिन तक होगा श्रंगार
प्रतिदिन शृंगार के साथ प्रात: व संध्या आरती होगी। माता तुजला भवानी को चांदी का मुकुट अर्पित किया गया है। चामुंडा माता को स्वर्ण कड़े अर्पित किए गए हैं। नौ दिनों तक यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। सप्तमी-अष्टमी को भीड़ अधिक होती है। नवरात्र में पूरी रात मंदिर के पट खुले रहते हैं। उज्जैन में शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में भी नवरात्रि का उल्लास छाया हुआ है। सोमवार सुबह पांच बजे ब्रह्म मुहूर्त में घट स्थापना हुई। प्रतिदिन माता का शृंगार किया जाएगा।
9 दिन होगी शयन आरती
प्रतिदिन शाम दीपमालिका प्रज्वलित होगी। इसके बाद संध्या आरती की जाएगी, लेकिन नौ दिन शयन आरती नहीं होगी। पुजारी रामचंद्र गिरि ने बताया कि मंदिर कि पूजन परंपरा में प्रतिदिन सुबह सूर्योदय के समय मंगला, सूर्यास्त के समय संध्या तथा रात्रि 11 बजे शयन आरती होती है। नौ दिन सुबह व शाम की आरती तो अपने समय व विधिविधान से होती है, लेकिन रात्रिकालीन आरती में शयन के मंत्र नहीं बोले जाते हैं अर्थात माता नौ दिन जागती हैं और रात्रि में विशेष पूजा–अर्चना की जाती है।


