अहमदाबाद: देश भर में फर्जी वकीलों की पहचान और उन्हें सिस्टम से बाहर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को सत्यापन के निर्देश दिए थे। एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद प्रैक्टिस करने के लिए संबंधित बार एसोसिएशन और काउंसिल की मंजूरी जरूरी होती है, लेकिन 'जॉली एलएलबी' के मामले सामने के बाद शीर्ष अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को यह निर्देश दिया था। बीसीआई के निर्देशों के बाद गुजरात बार काउंसिल ने 53,000 वकीलों को सत्यापन पूरा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के बार-बार आह्वान करके बाद भी बीते 10 साल बाद भी गुजरात और अन्य राज्यों में यह प्रक्रिया केवल लगभग 50 प्रतिशत ही पूरी हो पाई है।
30 दिन का दिया समय
इस बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने गुजरात बार काउंसिल सहित सभी राज्य बार काउंसिलों को निर्देश जारी किए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें फरवरी 2022 तक नामांकित वकील 30 दिनों के भीतर संबंधित दस्तावेजों के साथ प्रैक्टिस सत्यापन फॉर्म भर दें, हालांकि गुजरात में 53,000 से अधिक वकीलों ने अभी तक अपने सत्यापन फॉर्म जमा नहीं किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह पहल कानूनी पेशे से फर्जी वकीलों को हटाने के लिए की थी। शीर्ष कोर्ट ने साल 2015 में देश भर के वकीलों के सत्यापन को अनिवार्य बनाने संबंधी महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे।
फिर से जमा करने होंगे दस्तावेज
तब से राज्य बार काउंसिलों ने वकीलों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन, एक दशक बाद भी, यह प्रक्रिया अधूरी है। बीसीआई के नए फैसले के अनुरूप गुजरात बार काउंसिल ने एक परिपत्र जारी किया है। इस पर टिप्पणी करते हुए बार काउंसिल की सत्यापन समिति के सदस्य और वित्त समिति के अध्यक्ष अनिल सी. केला ने कहा कि जुलाई 2010 के बाद और 28 फरवरी, 2022 से पहले नामांकित वकील की संख्या 18,000 थी। इन्होंने पहले ही घोषणा पत्र जमा कर दिए थे। अब इन्हें भी नए सिरे से प्रैक्टिस सत्यापन फॉर्म भरना होगा। परिपत्र में दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार कक्षा 10, कक्षा 12, स्नातक और एलएलबी की सभी मार्कशीट की प्रतियां स्व-सत्यापित करके जमा करनी होंगी। मार्कशीट की प्रत्येक प्रति पर नामांकन संख्या स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए।