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    भाषा विवाद फिर गरमाया, मनसे ने एक्सप्रेसवे पर रेस्टोरेंट्स को मराठी में बोर्ड लगाने का फरमान सुनाया

    मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को मुंबई-अहमदाबाद एक्सप्रेसवे पर स्थित रेस्टोरेंट और होटलों को निशाना बनाया। उन्होंने चेतावनी दी कि वे साइनबोर्ड और मेन्यू कार्ड की भाषा को मराठी में बदलें। मनसे के कार्यकर्ताओं ने मराठी साइनबोर्ड के इस्तेमाल की मांग को लेकर ठाणे और पालघर जिले में एक्सप्रेसवे पर स्थित कई होटलों के बाहर गुजराती में लिखे साइनबोर्ड जबरन हटा दिए। दरअसल महाराष्ट्र का पालघर जिला गुजरात की सीमा से लगा हुआ है।

    मराठी-महाराष्ट्र पर कोई समझौता नहीं

    यह प्रदर्शन राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को अनिवार्य किए जाने को लेकर उठे विवाद के तुरंत बाद शुरू हुआ। वसई से मनसे कार्यकर्ता प्रशांत खांबे ने कहा कि पार्टी प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि मराठी और महाराष्ट्र पर कोई समझौता नहीं होगा। मनसे के पालघर और ठाणे जिलों के प्रमुख अविनाश जाधव ने कहा कि हमने उनसे कहा है कि अगर आप महाराष्ट्र में व्यापार करना चाहते हैं तो इसे बदल दें।
     
    गुजराती साइनबोर्ड हटाने पर किया मजबूर

    इससे पहले सोमवार को मनसे सदस्यों ने अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर नवी मुंबई के सीवुड्स स्थित गुजरात बीजेपी विधायक वीरेंद्रसिंह बहादुरसिंह जडेजा के कार्यालय से एक गुजराती साइनबोर्ड हटाने पर मजबूर किया। गुजरात के रापर विधानसभा क्षेत्र से विधायक वीरेंद्रसिंह बहादुरसिंह जडेजा के जनसंपर्क कार्यालय के बाहर पुलिस की मौजूदगी में साइनबोर्ड उतार दिया गया।

    मराठी बोर्ड बदलने की मांग

    पार्टी ने पिछले हफ़्ते बोर्ड हटाने की मांग करते हुए एक अल्टीमेटम जारी किया था। समूह ने अधिकारियों को अपना अनुरोध प्रस्तुत करते हुए गुजराती बोर्ड को तुरंत मराठी बोर्ड से बदलने की मांग की। उन्होंने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई का भी अनुरोध किया, जिन्होंने मराठी पहचान का अपमान किया था।

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