कैंसर पीड़ित मां के लिए बनाए कपड़े, 6 महीने में होने लगा करोड़ों का टर्नओवर

जींद। हरियाणा के जींद जिले के नरवाना के पतराम नगर निवासी कंचन गुप्ता को पांच जुलाई को ब्राजील में होने वाले कार्यक्रम में ब्रिक्स देशों का विशेष पुरस्कार दिया जाएगा। इस सम्मान के लिए वह अपनी मां को समर्पित करती हैं। छह महीने पहले शुरू किए गए स्टार्टअप का अब डेढृ करोड़ का कारोबार कर रहा है।

कैंसर पीड़ित मां की परेशानी देखी तो कुछ करने की ठानी। मां को कपड़े बदलने में असहनीय पीड़ा हुई तो विशेष प्रकार के कपड़े डिजाइन किए। हालांकि, मां इन कपड़ों को पहन नहीं पाई। उनका निधन हो गया। कंचन ने विशेष आवश्यकता व बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए विशेष वस्त्र डिजाइन किए। कंचन गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2022 में मां को कैंसर की बीमारी हो गई। उन्होंने पहला विशेष कपड़ा अपनी मां के लिए ही बनाया। इसे बनाने में करीब 20 दिन लग गए, लेकिन इससे पहले ही उनकी मां का निधन हो गया। ऐसे में मां तो इस वस्त्र का प्रयोग नहीं कर पाई, लेकिन इस घटना ने विश्वभर के विशेष बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए रास्ता खोल दिया।

कंचन के ससुर सुरेश कुमार ठेकेदार नरवाना के जाने-माने व्यक्ति हैं। उनके बेटे हिमांशु गुप्ता दिल्ली में ही सोने-चांदी के आभूषणों का व्यापार करते हैं। गुरुग्राम की रहने वाली कंचन की शादी 2022 में हिमांशु से हुई थी। कंचन ने इसी साल हिसार स्थित गुरु जंभेश्वर तकनीकी विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री की। अपनी पढ़ाई का प्रयोग नौकरी करने के बजाय व्यावसायिक रूप से करने की योजना बनाई। इसमें परिवार का भी पूरा सहयोग मिला। ससुर ने भी इसके लिए प्रेरित किया और इसी साल जनवरी में अपना स्टार्टअप पंजीकृत कर काम शुरू किया।

नौ बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए 150 से अधिक वस्त्र कंचन ने तैयारी पहले ही कर ली थी, लेकिन स्टार्टअप करने के बाद व्यावासायिक रूप से इसका उत्पादन शुरू किया। इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती ऐसे कपड़े के चयन की थी, जो बीमारी से पीड़ित लोगों को राहत दे सके। कई बीमारी ऐसी होती हैं, जिसमें मरीज उठ भी नहीं पता। ऐसे में इस प्रकार के कपड़े का चयन करना था कि लेटे रहने पर भी यह कपड़ा शरीर को आराम दे। कंचन ने इस पर स्वयं शोध किया और कपड़े को तैयार कराया। इसके बाद अलग-अलग तरह की नौ बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए वस्त्र तैयार किए। इसमें बिना किसी परेशानी व दूसरे व्यक्ति की मदद के पीड़ित व्यक्ति स्वयं ही कपड़े पहन सकता है।

ऐसे कपड़े किए डिजाइन

कंचन का कहना है कि उन्होंने मुख्य रूप से ऑर्थराइटिस के लिए वस्त्र डिजाइन किए। इस बीमारी में मरीज को जोड़ों में सूजन होती है। इससे दर्द, अकड़न होने से गतिशीलता में परेशानी होती है। इसके कारण मरीज बटन बंद करने व जिप बंद करने में भी सक्षम नहीं होता। ऐसे में कंचन ने इसके लिए चुंबक का विकल्प बनाया और आसानी से पहने जाने वाले वस्त्र तैयार किए। इसी प्रकार अल्जाइमर से ग्रस्त लोगों का मस्तिष्क पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं रहता। इससे यह पता नहीं चलता कि कपड़े का रंग क्या है। आगे व पीछे के हिस्से में मरीज अंतर नहीं कर पाता। ऐसे में इस प्रकार के वस्त्र तैयार किए, जिसमें ऐसी परेशानी ही नहीं हो। ठीक इसी प्रकार पूरी तरह से व्हील चेयर पर रहने वाले लोगों के लिए भी ऐसे वस्त्र डिजाइन किए, जिससे उनके पूरे शरीर को बिना उठाए ही ढका जा सकता है। कृत्रिम अंग लगवाने वालों के लिए भी विशेष कपड़े बनाए हैं।

यह है ब्रिक्स देशों का पुरस्कार

ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले पांच देशों का समूह है। इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। यह समूह 2006 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपने सदस्यों के बीच सहयोग को बढ़ाना है। इसके चलते पांच जुलाई को कंचन गुप्ता को ब्राजील में पुरस्कृत किया जाएगा। उन्हें प्रतिष्ठित ब्रिक्स वुमेन स्टार्टअप स्पर्धा 2025 में चयनित किया गया है। इसमें विश्वभर के 21 देशों से 18 महिलाओं को चयनित किया गया है। इसके लिए एक हजार से अधिक आवेदन किए गए थे। विशेष उपलब्धि और समाज सेवा पर इस यह सम्मान दिया जाता है। इसके लिए आवेदन करना पड़ृता है। इसी वर्ष मार्च में कंचन गुप्ता ने इसके लिए आनलाइन आवेदन किया था। उन्हें पांच जुलाई को सम्मानित किया जाएगा।

इस सफलता के पीछे मेरी मां की भूमिका है। मां कैंसर से पीड़ित होने के कारण जो दर्द सहती थी, उसने ऐसे उत्पाद बनाने को प्रेरित किया। इसके बाद ससुराल से भी बहुत सहयोग मिला। यह अभियान जरूरतमंद लोगों को समर्पित है। वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है। यह बहुत बड़ी बात है। कंचन गुप्ता।

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