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    डॉ. जुल्फिकार का नाम ‘लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज

    स्वामी विवेकानंद पर विदेशों में शोध करने वाले पहले भारतीय मुस्लिम युवा है डॉ. जुल्फिकार 

    अलवर/भीमसर। जिले के निकटवर्ती भीमसर गांव के युवा लेखक एवं शोधकर्ता डॉ. जुल्फिकार ने एक बार फिर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। स्वामी विवेकानंद पर गहन शोध कार्य करने वाले डॉ. जुल्फिकार का नाम अब लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। संस्था ने गहन जांच के बाद उनकी उपलब्धि को अधिकारिक मान्यता प्रदान की है।

    डॉ. जुल्फिकार पहले भारतीय मुस्लिम युवा हैं जिन्होंने भारत के बाहर तीन देशों—बांग्लादेश, श्रीलंका और सिंगापुर के रामकृष्ण मठ-मिशन संस्थाओं पर शोध कार्य किया। उनका यह कार्य विवेकानंद अध्ययन में एक नया आयाम माना जा रहा है।

    खेतड़ी में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के दौरान ही वे रामकृष्ण मिशन से जुड़े और आगे चलकर स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी की। उन्होंने वेलूर मठ सहित देशभर के 50 से अधिक रामकृष्ण मठों का भ्रमण कर संतों और विद्वानों से संवाद किया। विदेशों के मठों में रहकर शोध कार्य करने की उनकी यह अनूठी उपलब्धि अब विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है।

    डॉ. जुल्फिकार का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल रिकॉर्ड बनाना नहीं है बल्कि स्वामी विवेकानंद के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे विवेकानंद के आदर्शों को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दें।

    डॉ. जुल्फिकार की प्रमुख उपलब्धियाँ

    • पहले भारतीय मुस्लिम युवा जिन्होंने विदेशों में रामकृष्ण मठ-मिशन पर शोध कार्य किया

    • बांग्लादेश, श्रीलंका और सिंगापुर में मठों के बीच रहकर शोध

    • स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी व 50 से अधिक मठों का भ्रमण

    • शोध पत्रिकाओं और पुस्तकों के ज़रिए विवेकानंद दर्शन को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया

    • भारतीय संस्कृति और विवेकानंद विचारों को विश्व स्तर पर पहुँचाने में योगदान

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