अहमदाबाद: गुजरात से बड़ी संख्या में लोग अमेरिका और कनाडा जाते हैं लेकिन उत्तर गुजरात के रहने वाले राम भाई पटेल ने अमेरिका में वीजा दिलाने के नकली डकैतियां डाली। इससे राम भाई पटेल ने 850,000 डॉलर यानी सात करोड़ रुपये की रकम भी कमाई लेकिन एक के बाद एक डकैतियों और फिर एक पीड़ित दुकानदारों द्वारा स्पेशल कैटेगरी के वीजा के लिए आवेदन होने पर अमेरिका की फेडरल एजेंसी को शक हुआ। जांच हुई तो राम भाई पटेल का भांडा फूट गया, फिलहाल राम भाई पटेल को अमेरिकी कोर्ट ने 20 महीने सजा सुनवाई। इस बड़े वीजा घोटाले का खुलासा होने के बाद राम पटेल के ऊपर भारत डिपोर्ट किए जाने का खतरा भी खड़ा हो गया है।
20 महीने आठ दिन की सजा
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात के उत्तर क्षेत्र से आने वाले राम भाई पटेल (38) ने 18 फर्जी सशस्त्र डकैतियों को अंजाम दिया। इन डकैतियों की साजिश रचने के आरोप में 20 महीने की अमेरिकी जेल की सजा सुनाई गई है। आरोप हैं कि पटेल और उसके साथी बलविंदर सिंह ने दुकानों में डकैती की और क्लर्कों को यू-वीजा के लिए धोखाधड़ी से आवेदन करने में मदद की। ऐसी संभावना है कि पटेल को सजा पूरी करने के बाद भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा। अमेरिकी न्याय विभाग ने कुल 20 महीने और आठ दिन की संघीय जेल की सजा सुनाई गई है।
राम पटेल ने जांच में कबूला अपराध
न्यूयॉर्क में रहने वाले एक अवैध अप्रवासी राम पटेल ने मई 2025 में अपना अपराध स्वीकार किया। 20 अगस्त को उसे सजा सुनाई गई। एक अधिकारिक बयान में कहा गया है कि मार्च 2023 से पटेल और उसके सह-साजिशकर्ता पंजाब निवासी बलविंदर सिंह ने मैसाचुसेट्स में कम से कम पांच सहित पूरे अमेरिका में कम से कम 18 सुविधा/शराब की दुकानों और फास्ट-फूड रेस्टोरेंट में सशस्त्र डकैती की और उन्हें अंजाम दिया। इन फर्जी डकैतियों का उद्देश्य स्टोर के कर्मचारियों को यू-गैर-आप्रवासी स्थिति (यू-वीजा) के लिए अपने आवेदनों पर यह दावा करने का मौका देना था कि वे हिंसक अपराधों के शिकार थे।
क्या है यू वीजा?
यू वीजा उन कुछ अपराधों के पीड़ितों को उपलब्ध होता है जिन्होंने मानसिक या शारीरिक शोषण झेला हो और जो आपराधिक गतिविधि की जांच या अभियोजन में कानून प्रवर्तन के लिए मददगार रहे हों। बनावटी डकैतियों के दौरान एक नकली लुटेरा नकदी लेकर भागने से पहले दुकान के कर्मचारियों को बंदूक जैसी दिखने वाली किसी चीज से धमकाता था। यह घटना और पूरी बातचीत निगरानी कैमरों में कैद हो जाती थी। पीड़ितों ने बनावटी सशस्त्र डकैतियों में भाग लेने के लिए पटेल को 20,000 डॉलर तक का भुगतान किया। इसके बाद पटेल ने दुकान मालिकों को अपनी दुकानों का इस्तेमाल इस बनावटी अपराध के लिए करने की अनुमति देने के लिए भुगतान किया।