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    राष्ट्रीय जनजागरण ज्योति कलश यात्रा खैरथल तिजारा में पहुंची

    ज्योति कलश यात्रा अब कुलताजपुर जाएगी

    खैरथल। अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में चल रही राष्ट्रीय जनजागरण ज्योति कलश यात्रा आज खैरथल क्षेत्र में पहुंची। यह यात्रा आचार्य श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने एवं संस्कृति व संस्कारों को उनके मूल स्वरूप में स्थापित करने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है।

    शांतिकुंज प्रतिनिधि जितेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि “मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण तभी संभव है जब व्यक्ति स्वयं अपने अंदर परिवर्तन लाए और आत्मप्रकाशित दीपक बनने में समर्थ हो।”

    यात्रा बुधवार को गंज, तहनोली, बागोर, इस्माइलपुर, खेला होते हुए बास कृपाल नगर पहुंची, जहां दीप यज्ञ का आयोजन कर समाज को एक सूत्र में जोड़ने का संदेश दिया गया। इस आयोजन में जिला समन्वयक रामकृष्ण मीणा, प्रकाशचंद सांवरिया, मोतीलाल, प्रेमकुमार, विकास यादव, विजय गिरी, शीशराम यादव, ताराचंद, राकेश एवं ग्रीस बागोर सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने अपनी सेवाएं दीं।

    यात्रा कल तारवाला, मीर का बसई, नूर नगर, नांगल मौज से होते हुए कुलताजपुर तक पहुंचेगी।

    जनजागरण यात्रा: संस्कार और संस्कृति की ओर लौटता समाज”

    क्या आपने कभी ऐसी यात्रा देखी है जो सिर्फ़ कदमों से नहीं, बल्कि विचारों से चलती हो? हाल ही में मैंने खैरथल-तिजारा इलाके में गायत्री परिवार की जनजागरण ज्योति कलश यात्रा को नज़दीक से देखा। सच कहूँ तो यह सिर्फ़ एक धार्मिक यात्रा नहीं लगी, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव जैसा अनुभव था।

    गाँव-गाँव जब कलश लेकर लोग निकले तो ऐसा लगा जैसे हमारी परंपराएँ फिर से जीवित हो रही हों। बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक सबकी भागीदारी थी। सबसे प्रेरक बात यह लगी कि यात्रा सिर्फ़ भक्ति तक सीमित नहीं थी, बल्कि समाज में शिक्षा, नशामुक्ति और संस्कारों के संदेश भी दे रही थी।

    मेरे लिए यह यात्रा याद दिलाती है कि अगर हम अपने संस्कारों को बचाना चाहते हैं, तो सिर्फ़ किताबों में पढ़ना काफ़ी नहीं, उन्हें जीना भी होगा। यही इस यात्रा का असली संदेश है।

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